एड्‌स । “AIDS” in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. एड्स के लक्षण ।

3. एड्स फैलने के कारण ।

4. एड्स निरोधक उपाय ।

5. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

आज मानव ने विज्ञान की सहायता से बहुत-सी आसाध्य बीमारियों पर नियन्त्रण पा लिया है, किन्तु कुछ ऐसी असाध्य बीमारियां भी हैं, जिनके उपचार साधन तथा ओषधियां पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो पायी

है । ऐसी बीमारियों में एक बीमारी के रूप में एड्‌स का आतंक छाया है, जिसकी अभी तक पूर्णत: दवा उपलब्ध नहीं हो पायी ।

हालांकि चीन के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि उन्होंने एड्‌स के रोगियों का पांच मिनट में पता लगाकर उनके लिए एक कारगर दवा तैयार कर ली है, परन्तु यह दावा कितना है, इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है । विश्व में प्रतिदिन 14 हजार लोग एड्‌स के शिकार होते है और 9 हजार लोगों की मृत्यु इसी बीमारी से हो जाती है ।

विश्व में एड्‌स के मरीजों की संख्या 4 करोड़ से भी अधिक है, जिसमें 5 लाख अरब देशों के हैं । इनमें सबसे ज्यादा मरीज तो सूडान के हैं । चीन और भारत जैसे घनी आबादी वाले देशों में यह बीमारी भयावह रूप ले चुकी है । समस्त विश्व और मानव जगत के लिए यह रोग एक गम्भीर चुनौती है ।

एक्वायर्ड इम्यूनो डेफीशियेंसी सिण्ड्रोम का संक्षिप्त रूप है-एड्‌स । एच॰आई॰वी॰, अर्थात् शुमन इम्यून डेफीशियेंसी वाइरस से संक्रमित रोगियों की संख्या एशिया में सर्वाधिक हो गयी है । 1981 में इसका पहला रोगी अमेरिका में पहचाना गया था ।

2. एड्‌स के लक्षण:

एड्‌स के वाइरस रोगी की सफेद रक्त कणिकाओं को नष्ट कर देते हैं । रक्त में इसके वाइरस आते ही इस मात्रा में फैल जाते हैं कि रोगी की मृत्यु हो जाती है । उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है, जिससे टी॰बी॰ तथा अन्य बीमारियां उसे घेर लेती हैं ।

इसके सामान्य लक्षण हैं: वजन कम होना, अधिक समय तक बुखार होना, रात्रि के समय पसीना आना, पेचिश होना, गुर्दो में सूजन, एक माह तक लगातार खांसी बने रहना, त्वचा पर पित्तियां तथा खुजली होना, विस्मृति के लक्षण, लिस्फ ग्रन्धियों में सूजन आदि । वस्तुत: इस बीमारी का पता रक्त परीक्षण के माध्यम से ही चल पाता है ।

3. एड्‌स फैलने के कारण:

1. किसी एड्‌स रोगी पुरुष या स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध ।

2. दूषित इंजेक्शन के द्वारा ।

3. एच॰आई॰वी॰ प्रदूषित रोगी से रक्त लेने पर ।

4. एकाधिक व्यक्ति से अधिक यौन सम्बन्ध रखने पर ।

5. वेश्याओं से सम्बन्ध ।

4. एड्‌स निरोधक उपाय:

यद्यपि अभी तक एड्‌स के वाइरस निरोधी दवाओं की खोज की गयी है, जो इस रोग को विशेष गति से बढ़ने से रोकती है, तथापि यह दवाइयां भी काफी महंगी हैं, जिसे खरीद पाना सामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर की बात है ।

इन दवाइयों में जाइडोबुडीन सुरामिन, एच॰पी॰ए॰ 83, रिवर्स ट्रांसक्रिप्टाइण्ड इडिपिटर्स ग्रुप तथा प्रोटोज इडिपिटर्स ग्रुप प्रमुख हैं । इस बीमारी को रोकने हेतु सर्वप्रथम चाहिए कि एड्‌सग्रसित व्यक्ति से शारीरिक सम्बन्ध न रखें । डिस्पोजल इंजेक्शन का प्रयोग करें । रक्तदान के समय रक्तदाता के खून की जांच अवश्य करायें । वेश्याओं से यौन सम्बन्ध स्थापित न करें ।

सुरक्षित यौन सम्बन्ध रखें । एड्‌स के प्रति जागरूकता लाने के लिए टी॰वी॰ रेडियो, अखबार आदि माध्यमों का जो प्रयोग किया जाता है, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है । मरीजों की संख्या का पता लगाया जाये, ताकि एक स्वस्थ व्यक्ति भूलवश उनसे संक्रमित होने से अपने आपको बचा सके ।

5. उपसंहार:

एड्‌स एक भयावह रोग है । यह जानते हुए प्रत्येक व्यक्ति को इससे बचने हेतु पूर्ण एवं सुरक्षित उपायों का प्रयोग करना चाहिए । यद्यपि देश-विदेश में इस रोग के उपचार के लिए नित नये प्रयोग किये जा रहे हैं, तथापि और अधिक ईमानदार तथा सार्थक प्रयासों की आवश्यकता है ।

यह अत्यन्त दु:खद पहलू है कि कुछ एड्‌स रोगी जाने-अनजाने अपने निर्दोष पत्नी और बच्चों को भी यह रोग देकर असमय मौत के मुंह में धकेल देते हैं । एड्‌स को छिपाना स्वयं के लिए ही नहीं, सबके लिए घातक है । सुरक्षित रहें और एड्‌स से बचें ।