Read this article to learn about the Makinder’s strategic vision about pressure area in Hindi language.

मैकिंडर की सामरिक परिदृष्टि: एक समालोचनात्मक समीक्षा:

मैकिंडर की हृदय स्थल संकल्पना अपने प्रकाशन की तिथि से 1990 तक विश्वस्तरीय सामरिक चिन्तन का केन्द्र बनी रही । इतिहास के घटनाक्रम ने 1945 के बाद हृदय स्थल को विश्व राजनीति के एक ध्रुव के रूप में स्थापित कर दिया था ।

परिणामस्वरूप यूरेशिया में ”स्थल शक्ति बनाम सामुद्रिक शक्ति” अन्तरराष्ट्रीय राजनीति का यथार्थ बन गया था । इस परिप्रेक्ष्य में मैकिंडर की सामरिक परिदृष्टि अपनी विविध वैचारिक कमियों के होते हुए भी अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों के अध्ययन में एक अत्यधिक सफल और पथप्रदर्शक प्रयास सिद्ध हुआ ।

आलोचकों ने मैकिंडर की अनेक मूलभूत मान्यताओं पर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं जिनमें निम्न मुख्य हैं:

(1) मैकिंडर ने यूरोपीय इतिहास को सीधे स्थल शक्ति बनाम सामुद्रिक प्राक्ति संघर्ष के रूप में रूपायित करने का प्रयास किया जबकि इतिहास की वास्तविकता इसके विपरीत थी । यह संघर्ष सदा से ही मिश्रित प्रकार का संघर्ष था स्थल शक्ति बनाम समुद्री शक्ति संघर्ष नहीं ।

(2) मैकिंडर ने मात्र स्थूल भौगोलिक क्षेत्र को ही संसाधन सम्पन्नता का परिचायक मान लिया था इसी आधार पर उसे विशाल भोगोलिक क्षेत्र वाला हृदय स्थल पृथ्वी का सबसे संसाधन सम्पन्न इकाई प्रतीत हुआ था जबकि वास्तविकता इससे भिन्न है ।

(3) मैकिंडर ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि महाद्वीपीय आन्तरिक स्थिति के परिणामस्वरूप हृदय स्थल प्रदेश शाश्वत कठिनाइयों का क्षेत्र है अत: वहां विकास प्रक्रिया उसी अनुपात में खर्चीली है ।

(4) मैकिंडर की यह मान्यता कि रेलवे इंजन के आविष्कार के पश्चात् इस विशाल आन्तरिक क्षेत्र को संचार संसाधन के मामले में पुन: पुरानी वरीयता प्राप्त हो जाएगी, व्यावहारिक स्तर पर सही नहीं थी । आज तक भी हृदय स्थल में रेलों का गहन जाल नहीं बिछ सका हे ।

(5) मैकिंडर की संकल्पना, की सबसे बड़ी त्रुटि यह थी कि उसने वर्तमान सामरिक स्थिति का आकलन पुरानी और बासी पड़ गई आवागमन तकनीक के आधार पर करने का प्रयास किया । यही कारण था कि लेखक के विचार रेलवे के विकास की सम्भावनाओं की चर्चा तक ही सीमित रहे जबकि वायु यातायात उस समय एक ऐसा यथार्थ बन चुका था जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर स्थित सभी स्थानों को बाहरी आक्रमण से समान रूप में खतरा पैदा हो गया था ।

(6) मैकिंडर की संकल्पना की एक अन्य त्रुटि यह थी कि उसकी सारी चर्चा और उसके सारे आकलन, मर्केटर प्रक्षेप पर बने विश्व मानचित्र पर आधारित थे । परिणामस्वरूप हृदय स्थल की क्षेत्रीय विशालता का भ्रांतिमूलक आभास प्रचार में आ गया ।

इसलिए और भी कि लेखक ने अपने मानचित्र को एक अण्डाकार वृत्त से घेर कर प्रदर्शित किया था जिसके कारण प्रयोग किए गए प्रक्षेप के शुद्ध क्षेत्रफल वाला प्रक्षेप होने सम्बन्धी भ्रान्तिपूर्ण धारणा को बढ़ावा मिला ।

1944 में मेकिंडर के मानचित्र को सही-सही अक्षांश तथा देशान्तर रेखाओं से पूरा कर तथा हृदय स्थल को अलग से शीर्ष केन्द्रित समान दूरी वाले प्रक्षेप पर निरूपित करके अमरीकी विद्वान वीगटइ और स्टीफेंसन (1944) ने इस भ्रांति का रहस्योद्‌घाटन किया । ( देखिए: चित्रा संख्या 7.7 )