Tag Archives | History

History of Economic Globalization | Hindi

Read this article to learn about the history of economic globalization in Hindi language. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में पश्चिमी यूरोपीय देशों की केन्द्रीय भूमिका के समाप्त होने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया था कि नई अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था में पूंजीवादी पश्चिमी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमरीका के पास आ गया है । अत: उसके [...]

By |2017-02-07T19:45:40+00:00February 7, 2017|Political Geography|Comments Off on History of Economic Globalization | Hindi

26th January Republic Day in Hindi

26 जनवरी, गणतन्त्र दिवस । Article on 26th January, Republic Day in Hindi Language! 26 जनवरी हमारे देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है । इसी दिन हमारा संविधान लागू हुआ एवं हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बना । यह हमें उस दिन का स्मरण कराता है जब कांग्रेस पाटी ने विदेशी शासन से देश को मुक्त कराने [...]

By |2016-12-14T05:24:10+00:00December 14, 2016|Essays|Comments Off on 26th January Republic Day in Hindi

“Experimentalist Era” in Hindi Language

प्रयोगवादी युग । “Experimentalist Era” in Hindi Language! प्रयोगवाद की प्रवृत्तियां (विशेषताएं सन् 1943-1950 तक): अज्ञेय के 1943 के तारसप्तक (प्रथम) के प्रकाशन के साथ-साथ हिन्दी काव्य साहित्य में सन् 1943 से 1950 तक का समय प्रयोगवाद के नाम से जाना जाता है । इस युग में भाव एवं शिल्प की दृष्टि से जो नये-नये प्रयोग किये गये, उसे प्रयोगवाद [...]

By |2016-11-24T10:38:24+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “Experimentalist Era” in Hindi Language

“Bharatendu Era” in Hindi Language

भारतेन्दु युग । “Bharatendu Era” in Hindi Language! भारतेन्दुयुगीन काव्य की प्रवृत्तियां (विशेषताएं): भारतेन्दु युग को आधुनिक हिन्दी साहित्य का प्रवेश द्वार माना जाता है । इस युग में हिन्दी साहित्य की प्राय: सभी विधाओं का विकास देखा जा सकता है । रीतिकालीन ब्रजभाषा के स्थान पर खड़ी बोली की प्रतिष्ठा, देश-प्रेम तथा राष्ट्रीय चेतना की भावना इस युग में [...]

By |2016-11-24T10:38:21+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “Bharatendu Era” in Hindi Language

“Dwivedi Era” of Hindi Language

द्विवेदी युग । “Dwivedi Era” of Hindi Language! द्विवेदी युग की प्रवृतियां (विशेषताएं): द्विवेदी युग आधुनिक हिन्दी कविता का दूसरा चरण है । सन से 1920 तक का समय द्विवेदी युग कहलाता है । इस युग के प्रवर्तक महावीर प्रसाद द्विवेदीजी हैं । उन्होंने 1903 से लेकर तक 'सरस्वती' नामक पत्रिका का सम्पादन किया । इस युग में हिन्दी भाषा [...]

By |2016-11-24T10:38:12+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “Dwivedi Era” of Hindi Language

“Modern Era” in Hindi Language

आधुनिककाल । “Modern Era” in Hindi Language! आधुनिक हिन्दी कविता की मुख्य प्रवृत्तियां (विशेषताएं) 1900 से आज तक: आधुनिक हिन्दी कविता का प्रारम्भ संवत् 1900 से माना जाता है । इस काल में सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से जो परिवर्तन हुए, उनके परिणामस्वरूप हिन्दी साहित्य में नयी चेतना आयी । काव्य में भाषा, भाव तथा शैली की दृष्टि से [...]

By |2016-11-24T10:38:03+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “Modern Era” in Hindi Language

“Pre-Medieval Era” in Hindi Language

भक्तिकाल । “Pre-Medieval Era” in Hindi Language! भक्तिकाल (पूर्व मध्यकाल) की प्रवृत्तियां: भक्तिकाल का विभाजन: (1375 से 1700 तक) 1. निर्गुण काव्यधारा: (क) ज्ञानमार्गी (ख) प्रेममार्गी 2. सगुण काव्यधारा: (क) रामभक्ति शाखा (कृष्णभक्ति शाखा) भक्तिकाल की विशेषताएं: 1. साहित्य का स्वर्णयुग:  हिन्दी साहित्य के इतिहास में भक्तिकाल अपनी असाधारण एवं अभूतपूर्व विशेषताओं के परिणामस्वरूप हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग कहा जाता [...]

By |2016-11-24T10:37:58+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “Pre-Medieval Era” in Hindi Language

“Progressive Era” in Hindi Language

प्रगतिवादी युग । “Progressive Era” in Hindi Language! प्रगतिवादी युग (सन् 1936-1943): राजनीति के क्षेत्र में जो मार्क्सवाद है, कविता के क्षेत्र में वही प्रगतिवाद है । प्रगतिवादी विचारधारा, समाज के हर वर्ग की प्रगति में विश्वास रखती है । किसानों, मजदूरों तथा समाज के शोषित वर्गो के प्रति समानता पर बल देती है । उन पर होने वाले शोषण [...]

By |2016-11-24T10:37:56+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “Progressive Era” in Hindi Language

“The Heroic Era” in Hindi Language

वीरगाथा काल । “The Heroic Era” in Hindi Language! काल-विभाजन हिन्दी साहित्य का विकास, काव्य साहित्य से ही प्रारम्भ हुआ । आचार्य रामचन्द्र शुक्लजी ने 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' में काव्य साहित्य को उनकी प्रवृतियों के आधार पर चार भागों में बांटा है । इन चारों कालों का क्रमानुसार विभाजन इस प्रकार है । 1. वीरगाथा काल या आदिकाल वि॰ [...]

By |2016-11-24T10:37:49+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “The Heroic Era” in Hindi Language

“Riti Kal” in Hindi Language

रीतिकाल । “Riti Kal” in Hindi Language! रीतिकाल की प्रमुख काव्य प्रवृत्तियां (1700-1900) रीतिकाल: हिन्दी साहित्य के मध्ययुग के उत्तरा (बाद का) काल है । रीति की प्रधानता के कारण इसे रीतिकाल के नाम से जाना जाता है । रीति शब्द का प्रचलित अर्थ है-काव्य की प्रणाली, पद्धति या शैली । चूंकि इस काल में अलंकार तथा शृंगार रस की [...]

By |2016-11-24T10:37:15+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “Riti Kal” in Hindi Language

“Valentine’s Day” in Hindi Language

वेलेन्टाइन डे । “Valentine’s Day” in Hindi Language! 1. प्रस्तावना । 2. वेलेन्टाइन डे का महत्त्व । 3. उपसंहार । 1. प्रस्तावना: वेलेन्टाइन डे आधुनिक समाज का पर्व है । पिछले कुछ वर्षो से हमारे देश में वेलेन्टाइन डे बड़े ही रोचक, साहसपूर्ण अन्दाज से मनाया जा रहा है । किशोर नवयुवक-युवतियां अपने प्रेम का इजहार तरह-तरह के उपादानों से [...]

By |2016-11-24T10:37:09+00:00November 24, 2016|Essays|Comments Off on “Valentine’s Day” in Hindi Language

"Africa’s Contribution to Non-Aligned Movement"

अफ्रीका का गुट-निरपेक्ष आंदोलन में योगदान | "Africa's Contribution to Non-Aligned Movement" in Hindi Language! भारत-अफ्रीकी संबधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: भारत और अफ्रीका का संबंध बहुत ही प्राचीन काल से माना जाता है । भारत में अफ्रीका के प्रति हमेशा सहानुभूति की भावना रही है । यह भावना वहाँ के लोगों के स्वप्नों और आकांक्षाओं के प्रति है । दोनों [...]

By |2016-11-06T04:44:23+00:00November 6, 2016|India|Comments Off on "Africa’s Contribution to Non-Aligned Movement"

Idealistic and Realistic Thinking | Hindi

प्राचीन भारत की आदर्शवादी और यथार्थवादी सोच की परंपरा | "Ancient Indian Tradition of Idealistic and Realistic Thinking" in Hindi Language! प्राचीन भारत की आदर्शवादी और यथार्थवादी सोच की परंपरा: भारत के विश्व दृष्टिकोण के विकास का मूल प्राचीनकाल से ही दिखाई पड़ता है, जैसे अंतर-राज्य संबंधों में यथार्थवाद एवं आदर्शवाद दोनों पद्धतियों की उपस्थिति । यथार्थवाद का समर्थन मनुस्मृति, [...]

By |2016-11-06T04:44:12+00:00November 6, 2016|India|Comments Off on Idealistic and Realistic Thinking | Hindi

Problems of Independent African States | History

स्वतंत्र अफ्रीकी राज्यों की समस्याओं | "Problems of Independent African States" in Hindi Language! स्वतंत्र अफ्रीकी राज्यों की समस्याएँ (Problems of Independent African States): अफ्रीका अंतर्राष्ट्रीय जगत में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है । नवोदित में अफ्रीका को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । इसमें अधिकांश समस्याएं यहाँ की पिछड़ी हुई आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं भौगोलिक [...]

By |2016-11-06T04:43:17+00:00November 6, 2016|History|Comments Off on Problems of Independent African States | History

Ethnic and Religious Movements | India

नृजातीय और धार्मिक आंदोलन | "Ethnic and Religious Movements" in Hindi Language! नृजातीय और धार्मिक आंदोलनों की भूमिका-नृजातीय और धार्मिक आंदोलनों को राष्ट्रवाद की गति सिद्धांत से अलग नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह सार्वभौम सकल्पना है । नृजातीय और धार्मिक आंदोलन सामान्यतया राष्ट्रवाद के सिद्धांत पर ही आधारित होते हैं । नृजातीय और धार्मिक आंदोलनों के सिद्धांत किसी भी [...]

By |2016-11-06T04:43:10+00:00November 6, 2016|History|Comments Off on Ethnic and Religious Movements | India

Non-Align Movement in Present World | History

वर्तमान विश्व में गुटनिरपेक्षवाद । "Non-Align Movement in Present World" in Hindi Language! गुटनिरपेक्षवाद की प्रासंगिकता: गुट निरपेक्ष आंदोलन सबसे बड़ा शांति आंदोलन के रूप में जाना जाता है । आज यह आवश्यक है कि गुटनिरपेक्षता के पीछे लिने भावना अर्थात् राष्ट्रीय नीति-निर्माण की स्वतंत्रता को सैनिक या आर्थिक दृष्टि से शक्तिशाली देशों के दबाव के अधीन समर्पित न होने [...]

By |2016-11-06T04:43:03+00:00November 6, 2016|History|Comments Off on Non-Align Movement in Present World | History
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